पूजन पाठ प्रदीप – Poojan Path Pradeep
पूजन पाठ प्रदीप ( Poojan Path Pradeep ) पुस्तक का संपादन कार्य श्रीमान प. हीरालाल जी जैन ‘कौशल’ अध्यक्ष जैन विद्वतसमिति दिल्ली द्वारा बड़ी ही कुशलता के साथ किया गया है। इसका अपर नाम जिनवाणी संग्रह भी है। जैन स्तुति – स्तोत्र, जैन पूजन, जैन चालीसा, जैन आरती, जैन तीर्थंकर पूजन, जैन पर्व पूजन आदि का अनुपम संग्रह। यदि कही त्रुटि हो तो सुधिजन सुधार कर पढ़े। एवं हमें सूचित करे। इस पृष्ठ का कार्य प्रगतिशील है। ……
( पूजन पाठ प्रदीप -Poojan Path Pradeep )
विषय सूची
- मंगलाष्टक स्तोत्र अर्थ सहित
- दर्शन पाठ ( तुम निरखत मुझको मिली )
- स्तुति ( प्रभु पतित पावन )
- देव दर्शन स्तोत्र
- पञ्च मंगल पाठ
- जलाभिषेक वा प्रक्षाल पाठ
नित्य नियम पूजा
- विनय पाठ पूजा प्रारम्भ
- देव शास्त्र गुरु पूजा ( द्यानतराय जी )
- श्री बीस तीर्थंकर पूजा
- अकृत्रिम चैत्यालयों के अर्घ्य
- सिद्ध पूजा संस्कृत
- सिद्ध पूजा भावाष्टक
- सिद्ध पूजा ( भाषा )
- समुच्चय चौबीसी पूजा
- श्री आदिनाथ जिन पूजा
- श्री शान्तिनाथ जिन पूजा (बख्तावर सिंह )
- श्री पार्श्वनाथ जिन पूजा ( बख्तावर सिंह )
- श्री महावीर जिन पूजा
- समुच्चय महार्घ
- शान्तिपाठ ( शास्त्रोक्तविधि )
- विसर्जन पाठ ( सम्पूर्णविधि )
- भाषा स्तुति
अन्य पूजा
- देव शास्त्र गुरु पूजा ( केवल रवि किरणों से )
- श्री चन्द्रप्रभ जिन पूजा ( देहरा तिजारा )
- श्री पार्श्वनाथ जिन पूजा ( पुष्पेंदु )
नैमित्तिक पूजा पाठ
- सप्तर्षि पूजा
- निर्वाण क्षेत्र पूजा
- पंचबालयति पूजा
- श्री निर्वाण क्षेत्र पूजा बड़ी ( निर्वाण लाडू पूजा )
- श्री ऋषिमण्डल पूजा
- श्री रविव्रत पूजा
- दीपावली ऐतिहासिक दृष्टि
- दीपावली पूजन
- श्री वीर निर्वाणोत्सव
- नई बहियो की मुहूर्त विधि
- श्री सरस्वती पूजा
- निर्वाण काण्ड
- नवग्रह अरिष्टनिवारक
- नवग्रह शांति स्तोत्र
- नवग्रह के मंत्र व जाप्य
- श्री कलिकुण्ड पारसनाथ पूजा
- श्री अहिक्षेत्र पूजा
स्तोत्र पाठ
- तत्वार्थ सूत्र ( मोक्ष शास्त्र )
- भक्तामर स्तोत्र ( संस्कृत )
- भक्तामर महिमा ( स्तुति )
- महावीराष्टक स्तोत्र ( संस्कृत )
- मंगलाष्टक ( भाषा )
- भक्तामर स्तोत्र ( हिन्दी भाषा )
- कल्याण मंदिर स्तोत्र ( भाषा )
- एकीभाव स्तोत्र ( भाषा )
- विषापहार स्तोत्र ( भाषा )
- श्री चतुर्विंशति स्तोत्र ( भाषा )
अन्य तीर्थंकर पूजा ( वृन्दावन )
- श्री पदमप्रभु जिन पूजा
- श्री चन्द्रप्रभु जिन पूजा
- श्री शीतलनाथ जिन पूजा
- श्री वासुपूज्य जिन पूजा
- श्री कुन्थुनाथ जिन पूजा
- श्री अरहनाथ जिन पूजा
- श्री मल्लिनाथ जिन पूजा
- श्री नेमिनाथ जिन पूजा
जैन पर्व पूजा
- सोलह कारण पूजा
- पंचमेरू पूजा
- नन्दीश्वर द्वीप पूजा
- दशलक्षण धर्म पूजा
- रत्नत्रय पूजा
- सम्यकदर्शन पूजा
- सम्यकज्ञान पूजा
- सम्यकचारित्र पूजा
- स्वंयम्भू स्तोत्र ( भाषा )
- समुच्चय महार्घ
- क्षमावाणी पूजा
सलोनो ( रक्षाबंधन ) पूजा
- श्री अकम्पनाचार्य पूजा
- श्री विष्णुकुमार मुनि पूजा
पाठ व स्तुति संग्रह
- रत्नाकर पंचविंशतिका
- सामायिक पाठ ( अमितगति सूरी )
- आलोचना पाठ
- बारह भावना ( मंगतराय )
- बारह भावना ( भूधरदास )
- मेरी भावना ( जुगलकिशोर ) राजा राणा
- वैराग्य भावना
- समाधि मरण
- समाधि पाठ ( तेरी छत्र छाया )
- अठाई रासा
- पखवाड़ा
- विनती संकट मोचन
- विनती दुःख हरण
- स्तुति ( ते गुरु मेरे मन बसों )
- स्तुति ( सकल ज्ञेय ज्ञायक )
- स्तुति ( अहो जगत गुरुदेव )
- आराधना पाठ
- पार्श्वनाथ स्तोत्र ( नरेन्द्रं फणीन्द्रं )
- स्तुति ( हूँ स्वतन्त्र निश्छल निष्काम )
- स्तुति ( भावना दिन रात मेरी )
- स्तुति ( सदा संतोष कर प्राणी )
- स्तुति ( सिद्धचक्र विधान )
- स्तुति श्री पारसनाथ ( तुमसे लागी लगन )
- देव दर्शन की विधि
- स्वाध्याय का मंगलाचरण
- स्तुति जिनवाणी
जैन चालीसा संग्रह
- श्री पदमप्रभु चालीसा
- श्री चन्द्रप्रभु चालीसा
- श्री पारसनाथ चालीसा
- श्री महावीर स्वामी चालीसा
- श्री सम्मेद शिखर जी चालीसा
- श्री कुण्डलपुर बड़े बाबा चालीसा
जैन आरती संग्रह
- आरती पञ्च परमेष्ठी जी
- आरती श्री जिनराज जी
- आरती पदमप्रभु जी
- आरती श्री वर्धमान जी
- आरती श्री महावीर जी
- आरती श्री चन्द्रप्रभु जी
- श्री सिद्धचक्र आरती
अन्य
- सूतक पातक विधि
- अरहंत पासा केवली
- श्री सम्मेद शिखर जी टोंक वंदना
- देव शास्त्र गुरु, विद्यमान बीस तीर्थंकर तथा अनन्तानन्त सिद्ध पूजा
- श्री ऋषिमण्डल स्तोत्र
- अर्घावली
- बृहद शांतिधारा
- प्रमुख जैन तीर्थ क्षेत्र परिचय
- प्रमुख जैन पर्व
- तीर्थंकरों के पञ्च कल्याणक
- श्री पदमप्रभ पूजन ( पदमपुरा बाड़ा )
- श्री बाहुबली भगवान पूजन
- श्री महावीर पूजन ( चान्दनगांव )
- भजन श्री महावीर स्वामी
- नवदेवता पूजन
- शान्ति पाठ ( हिन्दी )
- विसर्जन
- श्री अनन्तनाथ स्वामी पूजन
- प्रभाती दौलतराम
- सामायिक पाठ
- आरती श्री महावीर स्वामी (चांदनपुर )
- श्री जिन सहस्त्र नाम स्तोत्र
- श्री जिन सहस्त्र नाम मंत्र ( 1008 मंत्र )
- श्री पञ्च परमेष्ठी पूजन
- समाधि भावना
- भक्ष्य – अभक्ष्य ज्ञान