श्री पद्म प्रभु भगवान आरती

जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा ।

जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा ।

तुम बिन कौन जगत में मेरा २, पार करों देवा २

जय पद्मप्रभु देवा, स्वामी जय पद्मप्रभु देवा ॥

तुम हो अगम अगोचर स्वामी हम हैं अज्ञानी २।

अपरम्पार तुम्हारी महिमा, काहू ना जानी २ ॥

तुम बिन कौन जगत में मेरा०

विघ्न निवारो संकट टारो, हम आये शरणा २ ।

कुमति हटा सुमति दीज्यो, कर जोड़ पड़े चरणा २॥

तुम बिन कौन जगत में मेरा०

पाँव पड़े को पार लगाया सुख सम्पति दाता २ ।

श्रीपाल का कष्ट हटाकर, सुवर्ण तन कीना २॥

तुम बिन कौन जगत में मेरा०