Jain Samachaar : कथावाचक देवकीनंदन जी ने दिया दिगम्बरत्व पर विवादित बयान। निर्वस्त्र होकर समाज में मत घूमो। 

Jain Samachaar : जैसा कि हम सभी जानते है। कि अनादिकाल से जैन धर्म की दिगम्बर परम्परा निर्बाध रूप से अनवरत चली आ रही है। और निश्चित ही चलेगी। इसी बीच कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर जी ने दिगम्बरत्व पर एक प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। साधुओं को दिगम्बर नहीं रहना चाहिए। एक महिला द्वारा प्रश्न पूछे जाने पर ये वक्तव्य दिया उन्होंने ! यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रही है। वैसे अधूरा ज्ञान खतरनाक ही होता है।

( Jain Samachaar ) आखिर  क्या कहा कथावाचक ने ?

एक महिला द्वारा पूछा गया कि – जो जैनियों के गुरु है। वो निर्वस्त्र क्यों रहते है ? जवाब में उन्होंने कहा शब्दशः -” निर्वस्त्र नहीं रहना चाहिए। हमारी जो परम्परा है। अब वो क्यों रहते है। उन्ही से सवाल करना चाहिए।  महिला – मैं शंकर जी की पूजा करती हूँ।  साईं बाबा की पूजा करती हूँ। आपने बोला था न कि संत के रूप में पूजा करनी चाहिए। लेकिन जब मैं  पूजा करती हूँ। तो मुझे उनके गुरु मुझे ध्यान में आते है।  कथावाचक – निर्वस्त्र होकर हमारे यहाँ स्नान किया था गोपियों ने। तो भगवान् ने वस्त्र चुराकर ये प्रेरणा दी कि आपको निर्वस्त्र नहीं रहना चाहिए। न स्त्री और न ही पुरुष को।  न निर्वस्त्र होकर नहाओ। न निर्वस्त्र होकर समाज में घूमो। ये अमर्यादित है। इसीलिए हमारे यहाँ नागा साधु जो  होते है। वो नागा साधु भी विशेष समय ही रहते है । हालांकि यह वीडियो कब की है। इसकी पुष्टि नहीं हो पायी है अभी तक।

दिगम्बर शब्द का अर्थ

दिग अर्थात दिशा, अम्बर का मतलब  होता है वस्त्र।  दिशाए ही जिनके वस्त्र हो।  उसे दिगम्बर कहते है। जबकि देवकीनंदन जी यह भूल गए है।  कि शुकदेव जी महाराज, विष्णु जी के २४ अवतारों में से एक ऋषभदेव जी, खुद शिव को दिगंबर शब्द से सम्बोधित किया गया है।  जिस प्रकार बालक निर्विकार रूप से नग्न रूप में रहता है।  ठीक उसी प्रकार जैन साधु भी निर्विकार, निश्छल, अवस्था को धारण कर त्याग, तपस्या से इस धरती पर विचरण करते है।

विशेष : हमने नीचे एक वीडियो और दिया है। जिसमे बताया गया है। क्यों रहते है जैन मुनि नंग्न रूप में ? 

आप भी देखे Viral वीडियो :-

 

क्यों रहते है जैन साधु नग्न रूप में ?

इसका जवाब खुद संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज के शिष्य गुणायतन प्रणेता मुनि श्री प्रमाण सागर जी महाराज ने  शंङ्का समाधान के कार्यक्रम में कुछ समय पहले दिया था। आप खुद ही सुनिए क्यों रहते है जैन साधु नंगे ?


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