Gwalior Jain News : शराब पीकर मंदिर जी में घुसने से रोका तो फोड़ दिया जैन मन्त्री जी का सिर
(Gwalior Jain News ): शराब के नशे में जा रहा था एक युवक जैन मंदिर जी में , रोका गया तो उसने गोपाचल पर्वत मंदिर के ट्रस्टी मंत्री का फोड़ दिया सर। खून से लतपथ श्री अजित बरैया जी वीडियो में। नीचे देखे वीडियो। जैन धर्म की शान गोपाचल पर्वत ग्वालियर का प्रसिद्ध किला है। यहाँ पर हज़ारों जैन मूर्तियां वर्तमान दशा में खंडित अवस्था में आज भी विद्यमान है। यह सभी प्रतिमा जी सम्वत 1398 से 1536 के बीच मध्य पर्वत को तराश्कर बनायीं गयी थी।
गोपाचल पर्वत एक जैन धरोहर
इन सभी विशाल मूर्तियों का निर्माण तोमरवंशी राजा वीरमदेव, डूंगरसिंह और कीर्तिसिंह के काल में हुआ था। अपभृंश भाषा के महाकवि श्री रइधू के पावन सानिध्य में इनकी प्राण प्रतिष्ठा सानन्द सम्पन्न की गयी थी। कालांतर में परिवर्तन के साथ जब मुग़ल सम्राट बाबर ने गोपाचल पर अपना अधिकार जमाना चाहा। तब उसने क्रोध के आवेश में इन सभी विशाल मूर्तियों को नष्ट करने का आदेश दिया। परन्तु इन सभी मूर्तियों में से एक विशालकाय प्रतिमा भगवान पारसनाथ जी की मूर्ति को तोड़ने के उद्देश्य से सैनिक वहां पहुंचे। तभी देवों के द्वारा एक ऐसा चमत्कार हुआ कि वे सब भाग खड़े हुए। वह मूर्ति नष्ट होने से बच गयी।
आज भी प्रभु श्री पार्श्वनाथ जी की प्रतिमा सुरक्षित है। यह विश्व की सबसे विशाल प्रतिमा 42 फुट ऊंचाई वाली प्रतिमा अनेकों अतिशय से परिपूर्ण है। इसका प्रबंधन ग्वालियर समाज एवं इसके ट्रस्टी जन करते है।
जैन न्यूज़ वीडियो देखे –
गोपाचल पर्वत ग्वालियर पर शराब के नशे में जैन मंदिर में जा रहे युवक को रोकने पर मंदिर के मंत्री पर किया जानलेवा हमला । #gwalior #gopachal #MadhyaPradeshNews #jainism #Jain1news #ShivrajSinghChouhan pic.twitter.com/E3tbC1x4AT
— Jain1.com – ।। जैनम् जयतु शासनम् ।। (@jain1official) July 24, 2023
आखिर कब तक होता रहेगा ऐसा अनावश्यक अत्याचार जैन समाज पर ?
कभी केंद्र सरकार द्वारा सम्मेद शिखर, पालीताना को पर्यटन क्षेत्र घोषित करना, उसके बाद आचार्य श्री कामकुमार नंदी जी की निर्मम हत्या, जैन समाज को चुनाव में टिकट न देना। आखिर कब तक जैन समाज के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुँचती रहेगी। क्या कर रही है ? देश के विभिन्न कोनों में बैठी जैन संस्थाएँ, कमेटियां !
दिगम्बर और श्वेताम्बर के दो भागों में बंटा हुआ ये जैन समाज कैसे एक हो पायेगा। और जैन धर्म की सुरक्षा कर पंचम काल के अंत तक धर्म की ध्वजा को जीवंत रख पायेगा। इस पर दोनों समाजों के उच्च पद पर आसीन साधुन भगवंतों को दिशा निर्देश देकर समाजजन को एकजुट हो जाना चाहिये। कही ऐसा न हो “दो पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय। ”
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