1st Teerthankar Bade Baba Pooja | बड़े बाबा पूजा | मुनि उत्तम सागर जी
Bade Baba Pooja: बड़े ही पुण्य के उदय से इस कलियुग में हम भक्तों को बड़े बाबा अर्थात प्रथम तीर्थंकर श्री आदिनाथ एवं छोटे बाबा आचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज की कृपा से उन्ही के शिष्य मुनि श्री उत्तम सागर जी द्वारा रचित यह पूजा प्राप्त हुई है। आशा ही नहीं पूर्ण आस्था है कि इस पूजा को करके सभी धर्म लाभ को उपलब्ध होंगे।
बडे बाबा पूजा -Bade Baba Pooja
-मुनि श्री उत्तम सागर जी मुनिराज ( शिष्य : आचार्य श्री विद्या सागर जी )
( तर्ज – नवदेवता पूजन ) (गीता – छंद )
बड़े बाबा आदिनाथ स्थापना
आदिम जिनेश्वर है बड़े बाबा जगत उद्धार का।
इस कर्म भूमि में प्रथम ही मुक्ति पथ उपदेश का।।
ये क्षेत्र कुण्डलपुर हुआ विख्यात प्रभु तव नाम से।
पूजे तुम्हें आह्वान कर हम आओ प्रभु शिव धाम से।।
ॐ ह्रीं श्री बड़े बाबा आदिनाथ जिनेन्द्र अत्र अवतर -अवतर संवौषट आह्वानन।
ॐ ह्रीं श्री बड़े बाबा आदिनाथ जिनेन्द्र अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ: ठ: स्थापनम।
ॐ ह्रीं श्री बड़े बाबा आदिनाथ जिनेन्द्र अत्र मम सन्निहितो भव-भव वषट सन्निधिकरणम।
बड़े बाबा आदिनाथ ( जल )
क्रोध अग्नि को बुझाने दो क्षमा जल हे ! प्रभो।
इस हेतु हम जल को चढ़ाकर पूजते है आपको।।
आदिम जिनेश्वर ये बड़े बाबा इन्हे जो पूजते।
वे शीघ्र मनवांछित सभी फल पाय शिव पद पावते।।
ॐ ह्रीं श्री बड़े बाबा आदिनाथ जिनेन्द्र जन्म जरा मृत्यु विनाशनाय जलम निर्वपामीति स्वाहा।
बड़े बाबा आदिनाथ ( चन्दनं )
संतोष मय चन्दन मिले अब मेटने भव ताप को।
इस हेतु चन्दन को चढ़ाकर पूजते प्रभु आपको।।
आदिम जिनेश्वर ये बड़े बाबा इन्हे जो पूजते।
वे शीघ्र मनवांछित सभी फल पाय शिव पद पावते।।
ॐ ह्रीं श्री बड़े बाबा आदिनाथ जिनेन्द्र संसार ताप विनाशनाय चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा।
बड़े बाबा आदिनाथ ( अक्षतं )
अब जन्म लेना न पड़े, ज्यों अक्षतों का होत है।
इस हेतु अक्षत को चढ़ाकर पूजा प्रभु की करत है।।
आदिम जिनेश्वर ये बड़े बाबा इन्हे जो पूजते।
वे शीघ्र मनवांछित सभी फल पाय शिव पद पावते।।
ॐ ह्रीं श्री बड़े बाबा आदिनाथ जिनेन्द्र अक्षयपद प्राप्ताय अक्षतं निर्वपामीति स्वाहा।
बड़े बाबा आदिनाथ ( पुष्पं )
गुण के सुगन्धित पुष्प से दुर्गन्ध दुर्गुण की मिटे।
इस हेतु पुष्पों को चढ़ाकर पाद प्रभु के पूजते।।
आदिम जिनेश्वर ये बड़े बाबा इन्हे जो पूजते।
वे शीघ्र मनवांछित सभी फल पाय शिव पद पावते।।
ॐ ह्रीं श्री बड़े बाबा आदिनाथ जिनेन्द्र काम बाण विध्वंसनाय पुष्पम निर्वपामीति स्वाहा।
बड़े बाबा आदिनाथ ( नैवद्यं )
मम मोह की अति भूख मेटन आत्म अमृत प्राप्त हो।
इस हेतु चरुवर को चढ़ाकर पूजते हम आप्त को।।
आदिम जिनेश्वर ये बड़े बाबा इन्हे जो पूजते।
वे शीघ्र मनवांछित सभी फल पाय शिव पद पावते।।
ॐ ह्रीं श्री बड़े बाबा आदिनाथ जिनेन्द्र क्षुधा रोग विनाशनाय नैवद्यं निर्वपामीति स्वाहा।
Bade Baba pooja आदिनाथ (दीपं)
मिथ्यात्व मय तम को मिटाने, ज्ञान ज्योति मिले हमें।
इस हेतु दीपक को चढ़ाकर पूजतू हम तुम्हे।।
आदिम जिनेश्वर ये बड़े बाबा इन्हे जो पूजते।
वे शीघ्र मनवांछित सभी फल पाय शिव पद पावते।।
ॐ ह्रीं श्री बड़े बाबा आदिनाथ जिनेन्द्र मोहान्धकार विनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा।
बड़े बाबा आदिनाथ ( धूपं )
ध्यान अग्नि में जलाने, कर्म रुपी धूप को।
इस हेतु हम ये धूप लेकर पूजते प्रभु आपको।।
आदिम जिनेश्वर ये बड़े बाबा इन्हे जो पूजते।
वे शीघ्र मनवांछित सभी फल पाय शिव पद पावते।।
ॐ ह्रीं श्री बड़े बाबा आदिनाथ जिनेन्द्र अष्ट कर्मविनाशनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा।
बड़े बाबा आदिनाथ (फलं )
धर्म का फल मोक्ष ही है वो मिले झट से हमें।
इस हेतु से ये फल चढ़ाकर पूजते प्रभु हम तुम्हें।।
आदिम जिनेश्वर ये बड़े बाबा इन्हे जो पूजते।
वे शीघ्र मनवांछित सभी फल पाय शिव पद पावते।।
ॐ ह्रीं श्री बड़े बाबा आदिनाथ जिनेन्द्र मोक्षफल प्राप्ताय फलं निर्वपामीति स्वाहा।
Bade Baba Pooja आदिनाथ ( अर्घ्यं )
नष्ट आठों कर्म हो अरु आठ गुण शिव के मिले।
यह अर्घ्य याते हम चढ़ाते पूजते प्रभु नाम ले।।
आदिम जिनेश्वर ये बड़े बाबा इन्हे जो पूजते।
वे शीघ्र मनवांछित सभी फल पाय शिव पद पावते।।
ॐ ह्रीं श्री बड़े बाबा आदिनाथ जिनेन्द्र अनर्घ्यपद प्राप्तये अर्घ्यम निर्वपामीति स्वाहा।
Bade Baba Pooja पञ्च कल्याणक के अर्घ्य
( पाईता छंद )
: गर्भकल्याणक अर्घ्य :
आषाढ़ वदि द्वितीया को, सर्वार्थसिद्धि सुख त्याग्यो।
मरुदेवी गर्भ में आये, प्रभु पूजत शिव सुख पाये।।
ॐ ह्रीं श्री आषाढ़ कृष्ण द्वितीयायां गर्भकल्याणक प्राप्तये श्री बड़े बाबा आदिनाथ जिनेन्द्राय अनर्घ्यपद प्राप्तये अर्घ्यम निर्वपामीति स्वाहा।
: जन्मकल्याणक अर्घ्य :
शुभ चैत्र कृष्ण नौमी था, तब जन्म हुआ बाबा का।
थे धन्य अयोध्या वासी, हम पूजे सुख अभिलाषी।।
ॐ ह्रीं श्री चैत्र कृष्ण नवम्यां जन्मकल्याणक प्राप्तये श्री बड़े बाबा आदिनाथ जिनेन्द्राय अनर्घ्यपद प्राप्तये अर्घ्यम निर्वपामीति स्वाहा।
: तपकल्याणक अर्घ्य :
था चैत्र कृष्ण नवमी वो, जब धारे प्रभु दीक्षा को।
प्रभु किये तपस्या भारी, हम पूजत पाप निवारी।।
ॐ ह्रीं श्री चैत्र कृष्ण नवम्यां तपकल्याणक प्राप्तये श्री बड़े बाबा आदिनाथ जिनेन्द्राय अनर्घ्यपद प्राप्तये अर्घ्यम निर्वपामीति स्वाहा।
: केवलज्ञानकल्याणक अर्घ्य :
एकादश फागुन वदि को, प्रभु नाशे विधि घाती को।
हुए बाबा केवलज्ञानी, हम पूजे बने स्वज्ञानी।।
ॐ ह्रीं श्री फाल्गुन कृष्ण एकादश्यां ज्ञानकल्याणक प्राप्तये श्री बड़े बाबा आदिनाथ जिनेन्द्राय अनर्घ्यपद प्राप्तये अर्घ्यम निर्वपामीति स्वाहा।
: मोक्षकल्याणक अर्घ्य :
फिर माघ कृष्ण चौदशी को, प्रभु नाशे सब कर्मों को।
तब पायो मोक्ष ठिकाना, हम पूजत शिव पद पाना।।
ॐ ह्रीं श्री माघ कृष्ण चतुर्दश्यां मोक्षकल्याणक प्राप्तये श्री बड़े बाबा आदिनाथ जिनेन्द्राय अनर्घ्यपद प्राप्तये अर्घ्यम निर्वपामीति स्वाहा।
( दोहा )
जल सम शीतल शांत गुण, हम सब में भी आय।
जल धारा यूँ छोड़कर, पूजूँ प्रभु के पाय।। १ ।।
शान्तिधारा ….
पुष्प समा शुचि गंध से, ज्ञान पुष्प खिल जाय।
याते प्रभु पद पूजते, पुष्पांजलि चढ़ाय ।। १ ।।
दिव्य पुष्पांजलि ….
( सोरठा )
आदिनाथ भगवान, पूज्य बड़े बाबा रहे।
जपते इनका नाम, शीघ्र सभी संकट टले ।। १ ।।
( Bade Baba Pooja श्री आदिनाथ मन्त्र जाप्य )
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं बड़ेबाबा अर्हं नमः स्वाहा।।
-( 9, 27, या 108 बार )
Bade Baba Pooja -जयमाला
तर्ज – हे दीनबंधु श्रीपति ( साबरमती के संत तूने )
( शेर छंद )
मध्यप्रदेश प्रान्त में बुंदेलखंड है।
और बुंदेलखंड में कुण्डलपुर है।
कुण्डलपुर का पहाड़ तो ये कुण्डाकार है !
इसी पहाड़ पे अनेकों जैन मंदिर है ।। १ ।।
तारे जैसे सारे मंदिर शोभते यहाँ।
और बीच बाबा का यह मंदिर चंद्रसा।।
अनेक भक्त यात्री यहाँ रोज आत है !
बाबा के दरबार में न जात -पात है ।। २ ।।
पहाड़ में से बड़े बाबा बाहर निकले हैं।
मानों हमें मोक्ष को ले जाने आये है।
(यहाँ एक पंक्ति अधूरी है शायद )…
कोई महावीर कहे मेरे बाबा को ।। ३ ।।
किन्तु बड़े बाबा ही यह नाम बताता।
सब में बड़े आदिनाथ है ही विख्याता।।
वीर श्रीधर आदि तुम्हे ध्याये है !
अतः बड़ेबाबा ये तुम नाम पायें है ।। ४ ।।
कोई कुछ भी रखते रहे नाम बाबा का।
किन्तु सबके कष्ट हरना काम बाबा का।।
जो भी भक्त बाबा जी को छत्र चढ़ाता।
निश्चित ही वो छत्रपति पदवी को पाता ।। ५ ।।
अभिषेक बाबा का जो भी देखे या करे।
आधि -व्याधि संकट आदि उसको ना घेरे।।
तेरी प्यारी -प्यारी मूरत मन को हर लेती।
भक्तों की शुभ भावना को तृप्त कर देती ।। ६ ।।
बडे बाबा तेरी कृपा सबसे निराली।
कोई भी ना जाता तेरे द्वार से खाली।
एक बार बाबा तुम्हे जिसने भी देखा।
वह तो मालामाल होता सबने यह देखा ।। ७ ।।
बाबा तेरे नाम पे धन खर्च जो करे।
रातों रात कुबेर जैसा उसका घर भरें।
बाबा तेरे प्रताप से ही रोगी भक्त भी।
बिना थके यहाँ आते चढ़के सब सीढ़ी ।। ८ ।।
बाबा का बस नाम लेते काम सब होते।
और दर्शन करने से तो पाप कट जाते।
बाबा तेरा परम भक्त ख्यात होता है।
प्रमाण इसका विद्यासागर छोटे बाबा है ।। ९ ।।
छोटेबाबा बड़ेबाबा जब भी ये मिलें।
लगता तब यूँ चंद्र सूर्य दोनों है मिलें।
बाबा तेरी महिमा से ही छोटे बाबा ये।
संघ सहित आते यहाँ आते रहेंगे ।। १० ।।
बाबा तेरी कीर्ति को हम कैसे गाएंगे।
इंद्र गणधर गा ना पाये हम क्या गाएंगे।
बाबाजी हम पूजते है याते आपको।
‘उत्तम साधु’ बनकर तुम सम मोक्ष पाने को ।। ११ ।।
(दोहा )
पूज्य बड़े बाबा रहे, सबके तारणहार।
इनके चरणों में करूँ, वंदन बारम्बार।।
ॐ ह्रीं श्री बड़े बाबा आदिनाथ जिनेन्द्राय जयमाला पूर्णं अर्घ्यम निर्वपामीति स्वाहा।
शान्तिधारा, पुष्पांजलि …..
( ज्ञानोदय छन्द )
सत -युग में भी आदिनाथ बन, बता दिया शिव-पथ सब को।
कलि-युग में भी बिना बोल के, बता रहे सत-पथ हम को।।
ऐसे अनंत उपकारी है पूज्य बड़ेबाबा हमरे।
इन के पूजन करके पाऊं इन सम “उत्तम” मोक्ष अरे।।
जैन पूजन संग्रह :
- श्री देव शास्त्र गुरु पूजा -केवल रवि किरणों से…कविश्री युगलजी
- श्री भरत भगवान जिन पूजा |
- श्री जैन सरस्वती माता पूजा
- श्री विद्यमान बीस तीर्थंकर पूजा
- श्री अहिच्छत्र पार्श्वनाथ पूजन |
- Powerful Shrut Panchami Pooja : श्रुतपंचमी पूजा
- णमोकार महामंत्र पूजा – गणिनी आर्यिका ज्ञानमती माताजी
- श्री महावीर स्वामी जी जिन पूजा – कवि श्री वृन्दावनदास जी
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