प्रभु के भजन बिन मानव की खाल कछु काम नही आयी है ।

यह एक सवैया छंद है।  इसमें रचनाकार ( प्रभु के भजन बिन मानव ) ने यह बताने का प्रयास किया है कि संसार के सभी जीवों की खाल या काया किसी न किसी रूप में काम में  आ जाती है।  परन्तु मनुष्य का शरीर किसी भी काम नहीं आता है।  अतः हम सभी को यथायोग्य परमात्मा का भजन अवश्य करना चाहिए। 

प्रभु के भजन बिन मानव की खाल कछु……

( सवैया छन्द )

हाथिन के दांत के, खिलौना बने भांति – भांति ।

शेरन की खाल, तपसी मन भाई है ।

गेण्डन की खाल को ओढ़त सिपाही लोग।

छेरा- छेरीन की खाल पानी भर लाई है।

मृगन की खाल को ओढ़त है जोगी जाये ।

साम्भर की खाल राजा राय ने सुहाई है ।

योगी कहे सुन भाई प्रभु के भजन बिन ।

मानव की खाल कछु काम नही आई है ।