Yah Vidhi Mangal Aarti Kijje | यह विधि मंगल आरती कीजे | पंच परमेष्ठी की आरती
यह विधि मंगल आरती कीजे ( Yah Vidhi Mangal Aarti Kijje ) इस आरती को पांच परमेष्ठी की आरती भी कहते है।
विशेष : बंधुओं आज वर्तमान में पांच परमेष्ठी की आरती में छठवीं और सातवीं आदि पंक्ति जोड़ दी गयी है। जो की उचित प्रतीत नहीं होती। क्यूंकि क्षुल्लक महाराज जी से माँ जिनवाणी छोटी नहीं हो सकती। और वैसे भी इस आरती में पञ्च परमेष्ठी को ही शामिल किया गया है। इसीलिए इसका मूल नाम पांच परमेष्ठी की आरती ही है।
पञ्च परमेष्ठी आरती – ( Yah Vidhi Mangal Aarti Kijje)
यह विधि मंगल आरती कीजै,
पंच परम पद भज सुख लीजै।
पहली आरती श्री जिनराजा,
भवदधि पार उतार जिहाजा ॥ यह विधि… ॥
दूसरी आरती सिद्धन केरी,
सुमरत करत मिटे भव फेरी ॥ यह विधि… ॥
तीसरी आरती सूर मुनिंदा,
जनम-मरण दुःख दूर करिंदा ॥ यह विधि… ॥
चौथी आरती श्री उवझाया,
दर्शन करत पाप पलाया ॥ यह विधि… ॥
पाँचवीं आरती साधु तुम्हारी,
कुमति विनाशन शिव अधिकारी ॥ यह विधि… ॥
संध्या करके आरती कीजे,
अपनो जनम सफल कर लीजे ॥ यह विधि… ॥
सोने का दीपक, रत्नों की बाती,
आरती करूँ मैं, सारी-सारी राती ॥ यह विधि… ॥
जो कोई आरती करे करावे
सो नर-नारी अमर पद पावे ॥ यह विधि… ॥
॥ पञ्च परमेष्ठी आरती – ( Yah Vidhi Mangal Aarti Kijje) ॥
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