Saraswati Stotra PDF | श्री सरस्वती स्तोत्र

श्री सरस्वती स्तोत्र |माँ सरस्वती के 16 नाम | Saraswati Stotra | Jain Stotra | Saraswati Maa 16 Name |

श्री सरस्वती स्तोत्र ( Saraswati Stotra PDF ) : – माता सरस्वती का यह स्तोत्र के पाठ से बुद्धि सद्बुद्धि को प्राप्त होती है। इस स्तोत्र की रचना पंडित श्री आशाधर जी सूरी (आचार्य ) द्वारा की गयी है।  इसमें माँ के 16 नामों का भी उल्लेख किया गया है। आप भी अपने बच्चों को इस पाठ का वाचन कराये। और माँ जिनवाणी के आशीर्वाद से सन्मार्ग पर चलने का मार्ग प्रशस्त करे।

श्री सरस्वती स्तोत्र संस्कृत | Saraswati Stotra 

 ( वसन्ततिलका छंद )

चन्द्रार्क – कोटिघटितोज्ज्वल-दिव्य-मूर्ते!
श्रीचन्द्रिका-कलित-निर्मल-शुभ्रवस्त्रे!
कामार्थ-दायि-कलहंस-समाधिरूढे ।
वागीश्वरि ! प्रतिदिनं मम रक्ष देवि ! ।।१।।

देवा-सुरेन्द्र-नतमौलिमणि-प्ररोचि,
श्रीमंजरी-निविड-रंजित-पादपद्मे !
नीलालके ! प्रमदहस्ति-समानयाने!
वागीश्वरि ! प्रतिदिनं मम रक्ष देवि ! ।।२।।

केयूरहार-मणिकुण्डल-मुद्रिकाद्यैः,
सर्वाङ्गभूषण-नरेन्द्र-मुनीन्द्र-वंद्ये !
नानासुरत्न-वर-निर्मल-मौलियुक्ते !
वागीश्वरि ! प्रतिदिनं मम रक्ष देवि ! ।।३।।

मंजीरकोत्कनककंकणकिंकणीनां,
कांच्याश्च झंकृत-रवेण विराजमाने !
सद्धर्म-वारिनिधि-संतति-वर्धमाने !
वागीश्वरि ! प्रतिदिनं मम रक्ष देवि! ।। ४।।

कंकेलिपल्लव-विनिंदित-पाणियुग्मे !
पद्मासने दिवस-पद्मसमान-वक्त्रे !
जैनेन्द्र-वक्त्र-भवदिव्य-समस्त-भाषे !
वागीश्वरि ! प्रतिदिनं मम रक्ष देवि! ।। ५।।

अर्धेन्दुमण्डितजटाललितस्वरूपे !
शास्त्र-प्रकाशिनि-समस्त-कलाधिनाथे!
चिन्मुद्रिका-जपसराभय-पुस्तकांके !
वागीश्वरि ! प्रतिदिनं मम रक्ष देवि!।।६।।

डिंडीरपिंड-हिमशंखसिता-भ्रहारे!
पूर्णेन्दु-बिम्बरुचि-शोभित-दिव्यगात्रे!
चांचल्यमान-मृगशावललाट-नेत्रे !
वागीश्वरि ! प्रतिदिनं मम रक्ष देवि! ।।७।।

पूज्ये पवित्रकरणोन्नत-कामरूपे!
नित्यं फणीन्द्र-गरुडाधिप-किन्नरेन्द्रैः!
विद्याधरेन्द्र-सुरयक्ष-समस्त-वृन्दैः,
वागीश्वरि ! प्रतिदिनं मम रक्ष देवि !।।८।।

 सरस्वती स्तोत्र के अन्तर्गत माँ के 16 नाम संस्कृत में 

( अनुष्टुप् छन्द) 

सरस्वत्याः प्रसादेन, काव्यं कुर्वन्ति मानवाः।
तस्मान्निश्चल-भावेन , पूजनीया सरस्वती।।९।।

श्री सर्वज्ञ मुखोत्पन्ना, भारती बहुभाषिणी।
अज्ञानतिमिरं हन्ति, विद्या-बहुविकासिनी।।१०।।

सरस्वती मया दृष्टा, दिव्या कमललोचना।
हंसस्कन्ध-समारूढा, वीणा-पुस्तक-धारिणी।।११।।

प्रथमं भारती नाम, द्वितीयं च सरस्वती।
तृतीयं शारदादेवी, चतुर्थं हंसगामिनी।।१२।।
पंचमं विदुषां माता, षष्ठं वागीश्वरी तथा।
कुमारी सप्तमं प्रोक्ता, अष्टमं ब्रह्मचारिणी।।१३।।

नवमं च जगन्माता, दशमं ब्राह्मिणी तथा।
एकादशं तु ब्रह्माणी, द्वादशं वरदा भवेत् ।।१४।।

वाणी त्रयोदशं नाम, भाषा चैव चतुर्दशं।
पंचदशं श्रुतदेवी च , षोडशं गौर्निगद्यते।।१५।।

एतानि श्रुतनामानि, प्रातरुत्थाय यः पठेत्।
तस्य संतुष्यति माता, शारदा वरदा भवेत् ।। १६।।

सरस्वती ! नमस्तुभ्यं, वरदे ! कामरूपिणि!
विद्यारंभं करिष्यामि, सिद्धिर्भवतु मे सदा।।१७।।

।। इति श्री सरस्वती स्तोत्रम् ।।


श्री सरस्वती स्तोत्र हिंदी भाषा 

कोटि सूरज चन्द्रमा सम विशद जिसकी मूर्ति है।
चंद्रिकासम वस्त्र निर्मल धारती सङ्कीर्ति है।।

कामना सब सिद्ध करती हंस पर आरूढ़ है।
वागीश्वरी रक्षा करो नित भक्ति भाव प्रारूढ है।।१।।

नमती सुरासुर मौलिमाला जटिल मणिगण क्रांति से।
जिसके चरणरज अतिसुशोभित दीखते संदीप्ति से।।

मत्तगजसम चाल जिसकी केश नीले धारती।
वागीश्वरी रक्षा करो नित सकल क्लेश निवारती।।२।।

केयूर हार सुरत्न कुण्डल मुद्रिकादिक भूषिता।
सर्वांग में, सब नृपति मुनिजन सुर असुरगण पूजिता।।

विविध रत्न जड़े मनोहर मुकुट से जो अंकिता।
वागीश्वरी रक्षा करो निज सर्व विद्यालंकृता।।३।।

स्वर्ण के मंजीर कंकण शब्द करते हैं सदा।
घूंघरे भी बजते हैं कमरबन्धा सर्वदा।

जिनराज भाषित धर्म जलनिधि तत्व बोध प्रर्विधनी।
वागीश्वरी रक्षा करो निज भव्य मोद विर्विधनी।।४।।

मृदुताभरे जिसके करों से सतरूपल्लव लाजते।
ककेलितरु के कमल आसन अशुचिता सब मांजते।।

दिन कमल सम है सुमुख जिसका जिनमुखोद्नत पूजिता।
वागीश्वरी रक्षा करो निज विविधभाषा राजिता।।५।।

अत्यन्त सुन्दर रूप जिसका अर्धचन्द्र जटायुता।
करती प्रकाशन शास्त्र का जो सब कला विधिसयुक्ता।।

चिन्मुद्रिका जप मालिका कृत अभयकर कर पुस्तिका।
वागीश्वरी रक्षा करो निज सदा मंगल स्वास्तिका।।६।।

उदधि के सित झाग सम शंख हिम मणि हार से।
पूर्णेन्दुबिंबसमान तन से कुमतिहर व्यवहार से।।

मृगशावनयन समान चंचल नेत्र और ललाट है।
वागीश्वरी रक्षा करो नित हरै क्लेश सुपाठ है।।७।।

नागपति गरुडेन्द्र पूजित किन्नरादिक पूजिता।
पतितपावन सकल इच्छा पूरिका गुणराजिता।।

इन्द्र सुरपतियज्ञ पूजित सकल विद्याधर नमैं।
वागीश्वरी रक्षा करो नित चरण में बुधजन रमे।।८।।

वाणी के सुप्रसाद से करें काव्य कविवृन्द।
पूजा निश्चल भक्ति से काटे जड़ता फद।।९।।

श्री सर्वज्ञमुखौद्नता है बहुभाषीरूप।
नाशै सब अज्ञानतम बहु विद्यासद्रूप।।१०।।

देखी आज सरस्वती कमललोचना कस्य।
हंसस्कंध पर बैठती बाण पुस्तक रम्य।।११।।

नाम भारती प्रथम है सरस्वती रु द्वितीय।
नाम तीसरा सारदा हंसगामिनी चतुर्थ।१२।।

विद्वन्माता पांचवां वाक् ईश्वरी षष्ठ।
नाम कुमारी सातवां ब्रह्मचारिणी अष्ट।।१३।।

नाम जगन्माता नवम दशम ब्राह्मिणी जान।
ब्रह्माणी एकादशम वरदा द्वादश मान।।१४।।

तेरहवां शुभ नाम है वाणी जिसका शुद्ध।
भाषा चौदहवां कहा पन्द्रहवां श्रुत बुद्ध।।१५।।

गौ सोलहवां नाम है कहते जिन आचार्य।
इस वाणी के स्तवन से सध जाते सब कार्य।।१६।।

उठ कर प्रात: काल जो पढ़ता सोलह नाम।
उससे माता तुष्ट हो देती वर अभिराम।।१७।।

है प्रणाम माता तुझे तू है मंगलरूप।
कामरुपिणी तू वरद विद्या सिद्धि स्वरूप।।१८।।

।।इति श्री हिन्दी सरस्वती भाषा स्तोत्र समाप्तम्।।


माँ जिनवाणी सरस्वती के 16 नाम हिन्दी में 

  1. भारती
  2. सरस्वती
  3. शारदा
  4. हंसगामिनी
  5. विदुषा
  6. वागीश्वरी
  7. कुमारी
  8. ब्रह्मचारिणी
  9. जगमाता
  10. ब्राह्मिणी
  11. ब्रह्माणी
  12. वरदा
  13. वाणी
  14. भाषा
  15. श्रुतदेवी
  16. गौ

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