संसार से सिद्धत्व की यात्रा – बालक विद्याधर से विद्यासागर

आचार्य श्री विद्यासागर (Vidyasagar ) नाम इस धरती पर पंचमकाल के श्रेष्ठतम संतों की श्रेणी में अद्भुत स्थान को प्राप्त प्रभु महावीर की जीवंत परम्परा को सहृदय से धारण करने वाले, जगत के समस्त जीवों के कल्याण की भावना से ओत-प्रोत आध्यात्मिक संत, साक्षात मूलाचार की प्रतिमूर्ति , जिनकी वाणी में आचार्य श्री कुन्दकुन्द का अमृत समाया, जिनके वरदहस्त से दीक्षित होकर अनेक युवा – युवती मोक्षमार्ग की ओर अग्रसर हुए, जिन्होंने अपनी पावन प्रेरणा से अनेक शुभ परिणमन करने वाले कार्यों की प्रेरणा और आशीर्वाद प्रदान किया, जिनकी लेखनी में स्याद्वाद और अनेकांत का दिग्दर्शन हुआ, जिनके चरणों में आकर राजनेता, उद्योगपति आदि जीवों ने अपने जीवन को धन्य किया, उन परम दिगम्बर मुद्रा के धारी संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महामुनिराज…..को हम सभी का नमोस्तु -नमोस्तु -नमोस्तु। 

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वैसे तो आचार्य श्री के बारे में लिखना सूरज को दीपक दिखाने जैसा है मगर देव -शास्त्र -गुरु के आशीर्वाद स्वरुप एक छोटा सा प्रयास श्रद्धांजलि के रूप में…….!

बालक विद्याधर का बाल्यकाल, परिवार, शिक्षा

भारत देश की परम पावन पुनीत धरती पर सदियों से अनेकानेक महापुरुषों ने जन्म लिया और अपनी करुणा, वात्सल्य,उपदेश से मानव जीवन का कल्याण किया। उसी श्रृंखला में कर्नाटका प्रांत में सदलगा ग्राम, जिला – बेलगाव में धार्मिकता और त्याग की प्रतिमूर्ति माता श्रीमती और पिता मल्लप्पा जी के घर आँगन में आश्विन शुक्ल 15, (शरदपूर्णिमा ) की शीतल चाँदनी में 10 अक्टूबर 1946 में द्वितीय संतान के रूप में बालक विद्याधर का जन्म हुआ। 

आपको सभी प्रेम से अनेक नामों से पुकारते – पीलू, गिनी,तोता आदि। आप शतरंज, केरम आदि खेलों में मास्टर रहे। परिवार के कुल आठ सदस्यों में – माता-पिता, स्वयं, 3 भाई एवं दो बहिने – जिनमे से 7 सदस्यों ने सांसारिक मार्ग को छोड़ कर मोक्षमार्ग का अनुसरण किया।  

गांव की समीपस्थ पाठशाला ग्राम बेडकीहाल में मातृभाषा कन्नड़ से हाईस्कूल की नवमी कक्षा तक अध्ययन किया। 

कर्नाटका से राजस्थान की लम्बी यात्रा 

नौ वर्ष की उम्र में ग्राम शेडवाल में चारित्र चक्रवर्ती आचार्य श्री 108 शांतिसागर जी मुनिराज के दर्शन कर आपके  अन्दर वैराग्य की भावना जन्म लेने लगी। 12 वर्ष की आयु में मूंजी बंधन संस्कार आचार्य श्री देशभूषण जी मुनिराज से तत्पश्चात मित्रों के साथ मुनि श्री महाबल जी के दर्शन और तत्वार्थ सूत्र, जिनसहस्त्रनाम स्तोत्र कंठस्थ करने की प्रेरणा लेकर 20 वर्ष की आयु में आचार्य श्री 108 देशभूषण जी की सन्निधि में राजस्थान के जयपुर में अपने प्रथम चरण ब्रह्मचर्य व्रत को वर्ष 1966 के जुलाई माह में अंगीकार किया।  

आप अपने संयम गुरु ( आचार्य श्री देशभूषण जी ) के साथ पदविहार करते हुए प्रथम तीर्थंकर पुत्र की धरती भगवान बाहुबली महामस्तकाभिषेक 1967 में श्रवणबेलगोला, जिला -हासन, कर्नाटका पहुंचे, वहीँ पर गोम्मटेश के पावन चरणों में आचार्य श्री जी से सप्तमप्रतिमा के व्रतों को धारण किया।  

ज्ञानामृत पान की अभिलाषा लिए आपने निर्बाध चली आ रही श्रमण परम्परा में आचार्य श्री शान्ति सागर जी, श्री वीरसागर जी, श्री शिवसागर जी, गुरु आचार्य श्री ज्ञानसागर जी के दर्शन प्राप्त किये। मदनगंज -किशनगढ़ (राजस्थान में ) एक दिन आचार्य ज्ञानसागर जी ने आपसे कहा – कि जब आपका नाम विद्याधर है तो आप तो विद्या ग्रहण करके विद्याधरों की भांति उड़ जाओगे।  ऐसा सुनते ही आपने आजीवन सभी वाहनों का त्याग कर गुरु भक्ति, समर्पण का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया।  

संसार से वैराग्य – दिगम्बरत्व ( मुनि दीक्षा से समाधि तक सफर )  

किसी कवि ने कहा हैजो फ़रिश्ते कर सकते है, कर सकता इंसांन भी। वैसे भी मैंने कही सुना था – कि भगवान् महावीर स्वामी जी का धर्म इतना कठिन नहीं, कि कोई न चल सके।  परन्तु इतना सरल भी नहीं, कि हर कोई चल सके। अजमेर राजस्थान की धरती पर आषाढ़ शुक्ल पंचमी, 30 जून 1968, के दिन 22 वर्ष की आयु में आप पदयात्री, करपात्री, निर्ग्रन्थ मार्ग दिगम्बरत्व दीक्षा को धारण कर मोक्षमार्ग पर आरूढ़ हुए। 

काल विकराल होता है, एक दिवस सभी को इस नश्वर देह को छोड़ कर जाना ही है।  वैसे भी कहा जाता है -कि यमराज को दया नहीं होती। इसी बात को ध्यान में रख कर जैन साधु अपने इस साधु जीवन की आखिरी सीढ़ी समाधि -सल्लेखना को धारण करने का मनोभाव रखते है। यही बात दीक्षा गुरु श्री ज्ञानसागर जी ने भली भांति समझ कर मार्गशीर्ष कृष्ण 2, 22 नवम्बर 1972, नसीराबाद (राज.) में अपने आचार्य पद पर आपको सुशोभित किया। गुरु ने आपको गुरु बनाया। और उत्कृष्ट समता भाव के साथ समाधि को धारण किया।  

आपके ज्ञान ध्यान से प्रभावित होकर, संसार की असारता को समझकर आपके माता -पिता जी ने भी आचार्य श्री 108 धर्मसागर जी मुनिराज से मुज़फ्फरनगर, उत्तर प्रदेश में दीक्षा धारण की – मलप्पा जी -मुनि श्री मल्लिसागर जी, श्रीमती जी – आर्यिका श्री समयमति माता जी। बाद में शुभ परिणामों के साथ उनकी भी उत्तम समाधी हुई।  

गृहस्थ जीवन के 3 भाई और दो बहिने  – अनन्तनाथ और शांतिनाथ भी आगे चल कर मुनि पद पर आसीन हो मुनि योगसागर जी और मुनि श्री समयसागर जी के नाम से जगत्प्रसिद्ध हुए।  बहिन शांता और सुवर्णा जी ने भी ब्रह्मचर्य के व्रतों को अंगीकार किया। एक भाई आपके अंतिम दीक्षित शिष्यों की श्रेणी में आरूढ़ हुए – बन गए मुनि श्री उत्कृष्ट सागर जी। 

कहते है न – कि पुष्प स्वयं तो महकता ही है मगर दूसरों को भी महका देता है। इसी सूक्ति को चरितार्थ करते हुए आपने अपने जीवन काल में 130 मुनि, 172 आर्यिका, 56 ऐलक, 64 क्षुल्लक, 1000 से भी अधिक युवा -युवतियों को ब्रह्मचर्य व्रत प्रदान किये।  

श्री कुन्दकुन्दाचार्य जी ने प्राकृत भाषा की आचार्य भक्ति में लिखा है – सिस्साणुगह कुसले धम्माइरिए वंदे। अर्थात जो शिष्यों के अनुग्रह करने में कुशल होता है।  उस धर्माचार्य की सदा वंदना करता हूँ।  

आपने अनेक ग्रंथों का अनुवाद, जापानी छंद में हाइकू, और मूकमाटी जैसी अनुपम रचना का सृजन किया। आपकी ही पावन प्रेरणा से संचालित अनेक संस्थाए है जैसे कि – दयोदय गौशालाऍ, शांतिधारा दुग्ध योजना, चिकित्सा के क्षेत्र में – भाग्योदय सागर में , शिक्षा के क्षेत्र में – प्रतिभास्थली – डोंगरगढ़, जबलपुर, रामटेक, इंदौर में निर्बाध संचालित हो रही है। 

आपने शताधिक पञ्चकल्याणकों के माध्यम से अनेक पाषाणों को भगवान बना सुरिमंत्र के द्वारा प्रतिष्ठित किया और गजरथ के माध्यम से धर्म की अभूतपूर्व महती प्रभावना की।  

आपने बुंदेलखंड की धरती पर प्रथम चातुर्मास बड़े बाबा श्री आदिनाथ जी के चरण सानिध्य में वर्ष 1976, कुण्डलपुर में किया। और आप छोटे बाबा के नाम से विख्यात हुए। जब -जब किसी भी व्यक्ति ने कहा कि -मैं आचार्य श्री के दर्शन करने जा रहा हूँ। तब तब आचार्य श्री का अर्थ विद्यासागर नाम ही था। 

आचार्यप्रवर विद्यासागर जी की त्याग -तपस्या और विशेषताएं

आजीवन त्याग – चीनी,नमक, चटाई, हरी, दही, तेल, सूखे मेवे का त्याग ,  सभी प्रकार के भौतिक साधनो का त्याग, थूकने का त्याग, एक करवट में शयन का नियम ,  पुरे भारत में सबसे ज्यादा बादीक्षा देने वाले और सभी बाल ब्रह्मचारी, पुरे भारत में एक मात्र ऐसे संत जिनका लगभग पूरा परिवार ही मोक्ष की राह पर चला, अनियत विहारी अर्थात बिना पूर्व सुचना के विहार करना आदि।

उन्हें मृत्यु ने हमें मृत्यु के समाचार ने मारा -विद्यासागर जी अंतिम विदाई

जैसा कि कहा गया है -दिन रात मेरे स्वामी मैं भावना ये भाऊँ,देहांत के समय में तुमको न भूल जाऊं।  ये भाव आपने दृढ़ता के साथ चन्द्रगिरि जैन तीर्थ,डोंगरगढ़,जिला -राजनांदगाव  ( छत्तीसगढ़ ) की भूमि पर 77 वर्ष की आयु में 18 फरवरी 2024 को रात्रि के 2:35 AM पर णमोकार महामंत्र की आराधना के साथ अपने संघ के कुशल शिष्यों के मार्गदर्शन में उत्तम समाधि को धारण कर मोक्ष पथ की ओर अग्रसर हुए। 

सूरीप्रवर विद्यासागर जी के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि देने वाले पुण्यशाली ब्रह्मचारीगण

  1. बा. ब्र. विनय जी बण्डा
  2. बा. ब्र. पंकज जी इंदौर
  3. बा. ब्र. नितिन जी खुरई
  4. बा. ब्र. धीरज जी राहतगढ़
  5. बा. ब्र. दीपक जी तहेरका
  6. बा. ब्र. अविनाश जी भोपाल

भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने आचार्य श्री विद्यासागर जी के समाधि (निधन ) को अपूरणीयक्षति बताते हुए उनके दर्शन का लाभ प्राप्त करने को लेकर अपने आप को सौभाग्यशाली माना। आपकी समाधि के बाद आपकी स्मृति के रूप में तत्कालीन वर्तमान गृहमंत्री अमित शाह जी ने भी  100 रूपये का विशेष सिक्का भी जारी कर भारत सरकार की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की।

त्याग,तपस्या,साधना से जिन्होंने अपने जीवन को तपाया है, जिनकी चर्या में समयसार समाया है, जिनका मुखमण्डल देख सूरज भी शरमाया है, ऐसे परम दिगमबर मुद्रा धारी संघ के ज्येष्ठ -श्रेष्ठ निर्यापक मुनि श्री 108 समयसागर जी मुनिराज को अपना आचार्य पद प्रदान किया। जो आज भी अपने संघ का परिपालन गुरु आज्ञा को शिरोधार्यकर कर रहे है।

आचार्य श्री विद्यासागर जी द्वारा रचित  रचनाये –

अनुवादित ग्रन्थ – 

  1. कुन्दकुन्द का कुन्दन (समयसार )
  2. निजामृतपान ( समयसार कलश )
  3. अष्टपाहुड
  4. नियमसार
  5. बारस अणुवेक्खा
  6. पञ्चास्तिकाय
  7. इष्टोपदेश (बसन्ततिलका )
  8. प्रवचनसार
  9. समाधिसुधा शतक ( समाधिशतक )
  10. नवभक्तियाँ ( आचार्य पूज्यपाद कृत )
  11. समन्तभद्र की भद्रता ( स्वयंभू स्तोत्र )
  12. रयणमञ्जूषा ( रत्नकरण्डक श्रावकाचार )
  13. आप्तमीमांसा ( देवागम स्तोत्र )
  14. द्रव्यसंग्रह ( बसन्ततिलका छंद )
  15. गोम्मटेश अष्टक
  16. योगसार
  17. आप्तपरीक्षा
  18. जैन गीता (समणसुत्तं )
  19. कल्याणमन्दिर स्तोत्र
  20. जिनस्तुति ( पात्रकेसरी स्तोत्र )
  21. गुणोदय ( आत्मानुशासन )
  22. स्वरुप सम्बोधन
  23. इष्टोपदेश ( ज्ञानोदय )
  24. द्रव्यसंग्रह ( ज्ञानोदय )

हिंदी काव्य 

  1. मूकमाटी महाकाव्य 
  2. नर्मदा का नरम कंकर 
  3. डुबो मत लगाओ डुबकी 
  4. तोता क्यों रोता ? 
  5. चेतना के गेहराव में 

संस्कृत रचनाये –

  1. शारदा स्तुति 
  2. श्रमण शतकम 
  3. निरंजन शतकम 
  4. भावना शतकम 
  5. परिषहजय शतकम 
  6. सुनीति शतकम 
  7. चैतन्य चन्द्रोदय 

स्तुति सरोज –

  1. आचार्य श्री शान्तिसागर स्तुति 
  2. आचार्य श्री वीरसागर स्तुति 
  3. आचार्य श्री शिवसागर स्तुति 
  4. आचार्य श्री  ज्ञानसागर स्तुति 
  5. अध्यात्म भक्ति गीत (10 भक्ति गीत ) 

हिंदी शतक – 

  1. निजानुभव शतक 
  2. मुक्तक शतक 
  3. श्रमण शतक 
  4. निरंजन शतक 
  5. भावना शतक 
  6. परिषहजय शतक 
  7. सुनीति शतक 
  8. दोहादोहन शतक 
  9. सूर्योदय शतक 
  10. पूर्णोदय शतक 
  11. सर्वोदय शतक 
  12. जिनस्तुति शतक 
  13. विज्जाणुवेक्खा प्राकृत 
  14. कन्नड़ कविता 
  15. बंगला कविता 
  16. अंग्रेजी कविता 

कुन्दकुन्दसम विद्यासागर जी का प्रवचन साहित्य – 

  1. प्रवचन पर्व 
  2. प्रवचन पीयूष 
  3. प्रवचनामृत 
  4. प्रवचन पारिजात 
  5. प्रवचन पंचामृत 
  6. प्रवचन प्रदीप 
  7. प्रवचन प्रमेय 
  8. प्रवचनिका 
  9. प्रवचन सुरभि 
  10. तेरा सो एक 
  11. धीवर की धी 
  12. सर्वोदय सार 
  13. सीप के मोती 
  14. विद्या वाणी 
  15. अकिंचित्कर 
  16. चरण आचरण की ओर 
  17. कर विवेक से काम 
  18. धर्म देशना 
  19. कुण्डलपुर देशना 
  20. तपोवन देशना 
  21. आदर्शों के आदर्श 
  22. सिद्धोदय सार 
  23. कौन कहाँ तक साथ देगा ?
  24. समागम 
  25. गुरुवाणी 
  26. व्यामोह की पराकाष्ठा 
  27. भक्त का उपसर्ग 
  28. आत्मानुभूति ही समयसार 
  29. मूर्त से अमूर्त्त की ओर 
  30. स्वराज और भारत 
  31. अहिंसा सूत्र 
  32. मेरे सपनों का भारत 
  33. भारत की भाषा राष्ट्र भाषा ही 
  34. जैन दर्शन का ह्रदय 
  35. जयंती से परे 
  36. सत्य की छाँव में 
  37. ब्रह्मचर्य चेतन का भोग 
  38. भोग से योग की ओर 
  39. आदर्श कौन ? 
  40. मर हम…..मरहम बने 
  41. मानसिक सफलता 
  42. न धर्मो धार्मिकैबिना 
  43. डबडबाती आँखे ( और भी बहुत सी कृतियां आचार्य श्री विद्यासागर जी द्वारा लिखी गयी है।  जिनकी सूची शायद अभी तक हमें उपलब्ध नहीं हुई है)

संतशिरोमणि विद्यासागर की जीवन्त कृतियाँ – 

मुनि दीक्षा – 

आचार्य श्री विद्यासागर जी द्वारा प्रदत्त मुनि दीक्षा का विवरण –

  •  मुनि श्री समयसागर जी (विद्यासागर जी के भाई ) – 8 मार्च 1980, द्रोणगिरि जी, जिला छतरपुर (म.प्र.) प्रथम दीक्षा पूज्यवर के करकमलों से। 

 

  • मुनि श्री योगसागर जी (विद्यासागर जी के भाई ),मुनि श्री नियमसागर जी – 15 अप्रैल 1980, मोराजी, सागर  (म.प्र.) 2 जिन मुनि बनाये गए। 

 

  • मुनि श्री चेतनसागर जी, मुनि श्री ओमसागर जी – 29 अक्टूबर 1981, नैनागिरि जी, जिला -छतरपुर (म.प्र.) में 2 दीक्षा सानन्द संपन्न हुई। 

 

  • मुनि श्री क्षमासागर जी,मुनि श्री गुप्तिसागर जी, मुनि श्री संयमसागर जी – 20 अगस्त 1982, नैनागिरि जी, जिला -छतरपुर (म.प्र.) में 3 दीक्षाये प्रदान की।

 

  • मुनि श्री सुधासागर जी, मुनि श्री समतासागर जी, मुनि श्री स्वभावसागर जी, मुनि श्री समाधिसागर जी, मुनि श्री सरलसागर जी – 25 सितम्बर 1983, ईसरी, जिला – गिरिडीह ( बिहार ) वर्तमान झारखण्ड में 5 प्रव्रज्या प्राप्त हुई। 

 

  • मुनि श्री वैराग्यसागर जी – 01 जुलाई 1985, अतिशय क्षेत्र अहारजी, जिला -टीकमगढ़ (म.प्र.) मात्र 1 दीक्षा। 

 

  • मुनि श्री प्रमाण सागर जी, मुनि श्री आर्जव सागर जी, मुनि श्री मार्दव सागर जी, मुनि श्री पवित्र सागर जी, मुनि श्री उत्तम सागर जी, मुनि श्री चिन्मय सागर जी,  मुनि श्री पावन सागर जी,  मुनि श्री सुख सागर जी – सिद्धक्षेत्र सोनागिरि जी, जिला -दतिया (म.प्र.) में 8 युवक जैन मुनि बने। 

 

  • मुनि श्री अपूर्व सागर जी, मुनि श्री प्रशांत सागर जी, मुनि श्री निर्वेग सागर जी, मुनि श्री विनीत सागर जी, मुनि श्री निर्णय सागर जी, मुनि श्री प्रबुद्ध सागर जी, मुनि श्री प्रवचन सागर जी, मुनि श्री पुण्य सागर जी, मुनि श्री पाय सागर जी, मुनि श्री प्रसाद सागर जी – 16 अक्टूबर 1997, सिद्धक्षेत्र नेमावर जी, जिला -देवास। 

 

  • मुनि श्री अभय सागर जी, मुनि श्री अक्षय सागर जी, मुनि श्री प्रशस्त सागर जी, मुनि श्री पुराण सागर जी, मुनि श्री प्रयोग सागर जी, मुनि श्री प्रबोध सागर जी, मुनि श्री प्रणम्य सागर जी, मुनि श्री प्रभात सागर जी, मुनि श्री चन्द्रसागर जी -11 फरवरी 1998, मुक्तागिरी जी, जिला – बैतूल (म.प्र) में 9 जिनदीक्षा संपन्न। 

 

  • मुनि श्री ऋषभ सागर जी, मुनि श्री अजित सागर जी, मुनि श्री संभवसागर जी, मुनि श्री अभिनन्दन सागर जी, मुनि श्री सुमति सागर जी, मुनि श्री पद्म सागर जी, मुनि श्री सुपार्श्व सागर जी, मुनि श्री चंद्रप्रभ सागर जी, मुनि श्री पुष्पदंत सागर जी, मुनि श्री शीतल सागर जी, मुनि श्री श्रेयांश सागर जी, मुनि श्री पूज्य सागर जी, मुनि श्री विमल सागर जी, मुनि श्री अनंत सागर जी, मुनि श्री धर्म सागर जी, मुनि श्री शान्ति सागर जी, मुनि श्री कुन्थु सागर जी, मुनि श्री अरह सागर जी, मुनि श्री मल्लि सागर जी, मुनि श्री सुव्रतसागर जी , मुनि श्री नमि सागर जी, मुनि श्री नेमि सागर जी, मुनि श्री पार्श्व सागर जी – 22 अप्रैल 1999, सिद्धक्षेत्र नेमावर जी, जिला -देवास (म.प्र.) में 23 जैनेश्वरी दीक्षा पूर्ण हुई। 
  • मुनि श्री वीर सागर जी, मुनि श्री क्षीर सागर जी, मुनि श्री धीर सागर जी, मुनि श्री उपशम सागर जी, मुनि श्री प्रशम सागर जी, मुनि श्री आगम सागर जी, मुनि  श्री महासागर जी, मुनि श्री विराट सागर जी, मुनि श्री विशाल सागर जी, मुनि श्री शैल सागर जी, मुनि श्री अचल सागर जी, मुनि श्री पुनीत सागर जी, मुनि श्री वैराग्य सागर जी, मुनि श्री अविचल सागर जी, मुनि श्री विसद सागर जी, मुनि श्री धवल सागर जी, मुनि श्री सौम्य सागर जी, मुनि श्री अनुभव सागर जी, मुनि श्री दुर्लभ सागर जी, मुनि श्री विनम्र सागर जी, मुनि श्री अतुल सागर जी, मुनि श्री भाव सागर जी, मुनि श्री आनंद सागर जी, मुनि श्री अगम्य सागर जी, मुनि श्री सहज सागर जी – 21 अगस्त 2004, दयोदय तीर्थ, तिलवारा घाट, जबलपुर (म.प्र.) में 25 मुनि दीक्षा संपन्न हुई। 

 

  •  मुनि श्री निस्वार्थ सागर जी , मुनि श्री निर्दोष सागर जी, मुनि श्री निर्लोभ सागर जी , मुनि श्री नीरोग सागर जी, मुनि श्री निर्मोह सागर जी , मुनि श्री निष्पक्ष सागर जी , मुनि श्री निस्पृह सागर जी , मुनि श्री निश्चल सागर जी , मुनि श्री निष्कम्प सागर जी , मुनि श्री निष्पन्द सागर जी , मुनि श्री निरामय सागर जी , मुनि श्री निरापद सागर जी , मुनि श्री निराकुल सागर जी , मुनि श्री निरुपम सागर जी , मुनि श्री निष्काम सागर जी , मुनि श्री निरीह सागर जी , मुनि श्री निस्सीम सागर जी , मुनि श्री निर्भीक सागर जी , मुनि श्री निराग सागर जी , मुनि श्री नीरज सागर जी , मुनि श्री निकलंक सागर जी , मुनि श्री निर्मद सागर जी , मुनि श्री निसर्ग सागर जी , मुनि श्री निस्संग सागर जी – 10 अगस्त 2013, अतिशय क्षेत्र रामटेक, जिला -नागपुर (महाराष्ट्र ) में 24 मुनि दीक्षाए भव्यातिभव्य स्तर पर संपन्न हुई।  

 

  • मुनि श्री शीतल सागर जी , मुनि श्री शाश्वत सागर जी , मुनि श्री समरस सागर जी , मुनि श्री श्रमण सागर जी – 16 अक्टूबर 2014, शीतलधाम,विदिशा (म.प्र) में 4 मुनि दीक्षाये प्रदान की। 
  • मुनि श्री संधान सागर जी, मुनि श्री संस्कार सागर जी , मुनि श्री ओंकार सागर जी – 31 जुलाई 2015, बीना बारहा, जिला -सागर (म.प्र.) में 3 मुनिराज  जिनमार्ग पर आरूढ़ हुए। 

 

  •  मुनि श्री निर्ग्रन्थ सागर जी , मुनि श्री निर्भ्रांत सागर जी , मुनि श्री निरालस सागर जी , मुनि श्री निराश्रव सागर जी , मुनि श्री निराकार सागर जी , मुनि श्री निश्चिन्त सागर जी , मुनि श्री निर्माण सागर जी , मुनि श्री निशंक सागर जी , मुनि श्री निरंजन सागर जी , मुनि श्री निर्लेप सागर जी – 28 नवम्बर 2018, दयोदय गौशाला, ललितपुर ( उ.प्र.) में 10 मुनि दीक्षाए आचार्य श्री ने प्रदान की। 

 

  • मुनि श्री उत्कृष्ट सागर जी (आचार्य श्री विद्यासागर जी के भाई ) – 22 दिसम्बर 2022, अंतरिक्ष पार्श्वनाथ ,शिरपुर (महाराष्ट्र) में अंतिम जिनमुनि दीक्षा प्रदान की। 

आचार्य श्री विद्यासागर जी द्वारा दीक्षित 172 आर्यिका संघ –

  1. आर्यिका श्री गुरुमति जी
  2. आर्यिका श्री दृढ़मति जी
  3. आर्यिका श्री मृदुमति जी
  4. आर्यिका श्री ऋजुमति जी
  5. आर्यिका श्री तपोमती जी
  6. आर्यिका श्री सत्यमति जी
  7. आर्यिका श्री गुणमति जी
  8. आर्यिका श्री जिनमती जी
  9. आर्यिका श्री निर्णयमति जी
  10. आर्यिका श्री उज्जवलमति जी
  11. आर्यिका श्री पावनमति जी
  12. आर्यिका श्री प्रशान्तमति जी
  13. आर्यिका श्री पूर्णमति जी (शेष जल्दी ही )

गुरुवर विद्यासागर जी के अद्भुत चातुर्मास –

  1. अजमेर (राजस्थान ) – वर्ष 1968,1969 -मुनि अवस्था में आचार्य श्री ज्ञान सागर जी के साथ।   
  2. किशनगढ़ (अजमेर,राज.) -वर्ष 1970,1971 – मुनि अवस्था में आचार्य श्री ज्ञान सागर जी के साथ।  
  3. नसीराबाद (अजमेर,राज.) -वर्ष 1972 – मुनि अवस्था में आचार्य श्री ज्ञान सागर जी के साथ।
  4. ब्यावर (अजमेर,राज.) – वर्ष 1973 – आचार्य अवस्था में क्षुल्लक जी साथ में थे।  
  5. अजमेर (राज.) – वर्ष 1974 – आचार्य अवस्था में क्षुल्लक जी साथ में थे।  
  6. फिरोजाबाद (उ.प्र.) – वर्ष 1975 – आचार्य अवस्था में क्षुल्लक जी साथ में थे।  
  7. कुण्डलपुर,दमोह (म.प्र.) – वर्ष 1976,1977 – आचार्य अवस्था में ससंघ। 
  8. नैनागिरि जी, (म.प्र.) – वर्ष 1978 – आचार्य अवस्था में ससंघ। 
  9. थूबौन जी, जिला -अशोकनगर (म.प्र.) – वर्ष 1979 – आचार्य अवस्था में ससंघ। 
  10. मुक्तागिरी जी, जिला -बैतूल (म.प्र.)– वर्ष 1980 – आचार्य अवस्था में ससंघ। 
  11. नैनागिरि जी, (म.प्र.) – वर्ष 1981,1982 – आचार्य अवस्था में ससंघ। 
  12. ईसरी, गिरिडीह (झारखण्ड)– वर्ष 1983 – आचार्य अवस्था में ससंघ। 
  13. मड़ियाजी, जबलपुर (म.प्र.) -वर्ष 1984 – आचार्य अवस्था में ससंघ। 
  14. आहारजी, टीकमगढ़ (म.प्र.)– वर्ष 1985 – आचार्य अवस्था में ससंघ। 
  15. पपौराजी, टीकमगढ़ (म.प्र.)– वर्ष 1986 – आचार्य अवस्था में ससंघ। 
  16. थूबौन जी, जिला -अशोकनगर (म.प्र.) – वर्ष 1987 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  17. मड़ियाजी, जबलपुर (म.प्र.) -वर्ष 1988 – आचार्य अवस्था में ससंघ। 
  18. कुण्डलपुर,दमोह (म.प्र.) – वर्ष 1989 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  19. मुक्तागिरी जी, जिला -बैतूल (म.प्र.)– वर्ष 1990,1991 – आचार्य अवस्था में ससंघ। 
  20. कुण्डलपुर,दमोह (म.प्र.) – वर्ष 1992 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  21. रामटेक, जिला -नागपुर (महाराष्ट्र) -वर्ष 1993,1994 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  22. कुण्डलपुर,दमोह (म.प्र.) – वर्ष 1995 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  23. महुआ पार्श्वनाथ, सूरत (गुजरात ) -वर्ष 1996 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  24. सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर, जिला -देवास (म.प्र.) – वर्ष 1997 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  25. भाग्योदय, सागर (म.प्र.) -वर्ष – 1998 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  26. गोम्मटगिरि, इंदौर (म.प्र.) -वर्ष – 1999 -आचार्य अवस्था में ससंघ।
  27. अमरकंटक,जिला -शहडोल (म.प्र.) -वर्ष – 2000 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  28. तिलवाराघाट,जबलपुर (म.प्र.)– वर्ष – 2001 – आचार्य अवस्था में ससंघ। 
  29. सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर, जिला -देवास (म.प्र.) – वर्ष 2002 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  30. अमरकंटक,जिला -शहडोल (म.प्र.) -वर्ष – 2003 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  31. तिलवाराघाट,जबलपुर (म.प्र.)– वर्ष – 2004 – आचार्य अवस्था में ससंघ। 
  32. बीनाबारहा, सागर (म.प्र.)– वर्ष -2005 – आचार्य अवस्था में ससंघ। 
  33. अमरकंटक,जिला -शहडोल (म.प्र.) -वर्ष – 2006 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  34. बीनाबारहा, सागर (म.प्र.)– वर्ष -2007 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  35. रामटेक, जिला -नागपुर (महाराष्ट्र) -वर्ष 2008 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  36. अमरकंटक,जिला -शहडोल (म.प्र.) -वर्ष – 2009 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  37. बीनाबारहा, सागर (म.प्र.)– वर्ष -2010 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  38. चंद्रगिरि तीर्थ, डोंगरगढ़,जिला -राजनाँदगाँव (छत्तीसगढ़) -वर्ष 2011,2012 -आचार्य अवस्था में ससंघ।
  39. रामटेक, जिला -नागपुर (महाराष्ट्र) -वर्ष 2013 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  40. शीतलधाम, विदिशा (म.प्र.) – वर्ष -2014 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  41. बीनाबारहा, सागर (म.प्र.)- वर्ष -2015 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  42. हबीबगंज,भोपाल (म.प्र.) -वर्ष 2016 -आचार्य अवस्था में ससंघ।
  43. रामटेक, जिला -नागपुर (महाराष्ट्र) -वर्ष 2017 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  44. खजुराहो, (म.प्र.) -वर्ष -2018 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  45. सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर, जिला -देवास (म.प्र.) – वर्ष 2019 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  46. प्रतिभास्थली,इंदौर (म.प्र.) – वर्ष -2020 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  47. तिलवाराघाट,जबलपुर (म.प्र.)– वर्ष – 2021 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  48. अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ, शिरपुर,जिला -वाशिम (महाराष्ट्र ) -वर्ष -2022 – आचार्य अवस्था में ससंघ।
  49. चंद्रगिरि तीर्थ, डोंगरगढ़,जिला -राजनाँदगाँव (छत्तीसगढ़) -वर्ष 2023-आचार्य अवस्था में ससंघ। 

पाषाण से भगवान बनाया ( पंचकल्याणक ) पूज्य श्री विद्यासागर जी ने –

  1. द्रोणगिरी, जिला -छतरपुर (म . प्र . ) – 25 फरवरी से  2 मार्च 1977
  2. बीनाबारहा, जिला -सागर (म . प्र . ) – 01 मार्च से 6 मार्च 1978
  3. मुरैना (म . प्र . ) – 28 फरवरी से 5 मार्च 1979
  4. मदनगंज -किशनगढ़ (राज .) – 27 मई से 31 मई 1979
  5. खजुराहो (म . प्र . )- 18 से 25 जनवरी 1981 (शेष जल्दी ही प्रकाशित होगा )

छोटे बाबा विद्यासागर जी का एक अनोखा उपदेश ( हाइकू जापानी छंद )-

हाइकू छंद की एक विशेषता है कि इसमें प्रथम पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, और तीसरी पंक्ति में पुनः 5 अक्षर होते है।  इस छंद में गहरा भाव छिपा होता है। अभी तक आचार्य श्री विद्यासागर जी ने 671 हाइकू छन्दों की रचना की है। जिनमे से कुछ इस प्रकार है –

  1. जुड़ों ना जोड़ो, जोड़ा छोड़ो जोड़ों तो , बेजोड़ जोड़ो।
  2. संदेह होगा , देह है तो देहाती , विदेह हो जा।
  3. ज्ञान प्राण है , संयत हो त्राण है ,  अन्यथा श्वान।
  4. छोटी दुनिया , काया में सुख दुःख , मोक्ष नरक।
  5. द्वेष से बचो ,  लवण दूर रहे , दूध न फटे। (बाकी के में थोड़ा समय लग सकता है )

गुरुवर विद्यासागर जी के सानिध्य में समाधि समाधि धारण करने वाले भव्य जीव –

  1. मुनि श्री पवित्र सागर जी -10 जनवरी 1969, केसरगंज,अजमेर (राज . )
  2. मुनि श्री पार्श्वसागर जी – 16 मई 1973 , नसीराबाद,अजमेर (राज . )
  3. आचार्य श्री ज्ञानसागर जी – 01 जून 1973, प्रातः 10:50, नसीराबाद,अजमेर (राज . )
  4. क्षुल्लक श्री श्रेयांस सागर जी – सन 1974, सोनी जी की नसिया,अजमेर (राज . )
  5. क्षुल्लक श्री चन्द्र सागर जी – सन 1978 , नैनागिरि, छतरपुर (म . प्र . )
  6. श्री समाधिसागर जी (दशम प्रतिमा धारी ) – 14 अगस्त 1982, नैनागिरि, छतरपुर (म . प्र . )
  7. श्री समतासागर जी (दशम प्रतिमा धारी ) – 18 अक्टूबर 1982, नैनागिरि, छतरपुर (म . प्र . )
  8. श्री स्वभावसागर जी (दशम प्रतिमा धारी ) – 02 नवम्बर 1982, नैनागिरि, छतरपुर (म . प्र . )
  9. ऐलक श्री सुमतिसागर जी – 15 नवम्बर 1982 – नैनागिरि, छतरपुर (म . प्र . )
  10. क्षुल्लक श्री सिद्धांतसागर जी (आप ही श्री जिनेन्द्र प्रसाद वर्णी जी )  – 24 मई 1983, ईसरी, बिहार (शेष जल्दी ही )

राजनीतिक नेता आध्यात्मिक नेता श्री विद्यासागर की शरण में – 

विद्यासागर जी (Vidyasagar)
Image Credit : Wikipedia

श्री विद्यासागर जी के चरणों में वाजेपयी

  1. प्रथम नागरिक राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी, भारत
  2. प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी, भारत
  3. गृहमंत्री श्री अमितशाह जी, भारत
  4. मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, मध्य प्रदेश
  5. श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, मध्यप्रदेश
  6. श्री कमलनाथ जी, मध्य प्रदेश

वर्तमान के वर्धमान पूज्य विद्यासागर जी का जीवन चित्रण –

 

 

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