समाधि भक्ति पाठ (तेरी छत्र छाया)

समाधि-भक्ति तेरी छत्रच्छाया भगवन्! मेरे शिर पर हो। मेरा अन्तिम मरणसमाधि, तेरे दर पर हो जिनवाणी रसपान करूँ मैं, जिनवर

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