धन्य धन्य वीतराग वाणी – जैन भजन

आध्यत्मिक जैन भक्ति गीत की श्रंखला में एक और जैन भजन ( धन्य धन्य वीतराग वाणी ) प्रस्तुत है –

धन्य धन्य वीतराग वाणी – जैन भजन

धन्य धन्य वीतराग वाणी, अमर तेरी जग में कहानी

चिदानन्द की राजधानी, अमर तेरी जग में कहानी ।।टेक।।

उत्पाद व्यय अरु ध्रोव्य स्वरूप, वस्तु बखानी सर्वज्ञ भूप ।

स्याद्वाद तेरी निशानी, अमर तेरी जग में कहानी ।१।

नित्य अनित्य अरू एक अनेक, वस्तुकथंचित भेद अभेद ।

अनेकान्त रूपा बखानी, अमर तेरी जग में कहानी ।२।

भाव शुभाशुभ बंध स्वरूप, शुद्ध चिदानन्दमय मुक्ति रूप ।

मारग दिखाती है वाणी, अमर तेरी जग में कहानी ।३।

चिदानन्द चैतन्य आनन्दधाम, ज्ञान स्वभावी निजातम राम ।

स्वाश्रय से मुक्ति बखानी, अमर तेरी जग में कहानी ।४।

धन्य धन्य वीतराग वाणी, अमर तेरी जग में कहानी

चिदानन्द की राजधानी, अमर तेरी जग में कहानी ।।टेक।।

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